April 21, 2024
Kho Kho Rules and Regulations in hindi

Kho Kho Rules and Regulations in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस पोस्ट में खो – खो खेल से जुड़ी जानकारी देने वाले हैं। खो खो खेल भी आज के समय में बहुत ही पॉपुलर गेम हो चुका है। दोस्तों खो खो खेल को खेलने के लिए बहुत सारे Rules and Regulations बनाए गए हैं। जब तक आप इसके नियम को नहीं जानते हैं तब तक आप खो खो खेल नहीं खेल पाएंगे। इसलिए हम आपको खो खो खेल के Rules and Regulations की पूरी जानकारी देने वाले हैं। अगर आप को भी इस खेल के Rules and Regulations को जानना है तो आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें।

हम खो खो खेल के Rules and Regulations जानने से पहले जानते हैं कि खो खो खेल शुरुआत कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है ?

Kho Kho खेल का इतिहास | kho kho history in hindi

खो खो खेल की शुरुआत की बात करें तो इसकी शुरुआत मुंबई (पुणे) से मानी जाती है। इस खेल के नियमों का स्थापना अखिल महाराष्ट्र, शारीरिक शिक्षा मंडल और पूना के जिमखाना क्लब के माध्यम से सन 1914 में किया गया था। सबसे पहली बार खो खो खेल सन 1960 में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में खेला गया था।

महिलाओ को खो खो खेल सन 1961 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में खेलाया गया था। खो-खो को दिल्ली में हुए सन 1982 के एशियाई खेलों के दौरान प्रदर्शनी खेल के तौर पर शामिल किया गया था। कोलकाता में पहली बार एशियाई चैंपियनशिप सन 1996 में आयोजित हुआ था। वर्तमान के समय में लगभग 25 देशों में राष्ट्रीय खो-खो टीम बनी हुई है।

खो खो खेल का Rules and Regulations in hindi

kho kho khel ke maidan ka chitra banakar jankari likhiye
खो खो खेळाची माहिती | kho kho ke bare mein jankari
  • खो खो खेल की नियम की बात करें तो इस खेल में निम्न प्रकार के नियम होते हैं।
  • खो खो खेल के एक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं।
  • एक टीम के सिर्फ 9 ही खिलाड़ी मैदान में खेलते हैं।
  • खेल की शुरुआत टॉस के द्वारा किया जाता है।
  • टॉस होने के बाद से निर्धारित किया जाता है कि कौन सी टीम बैठेगी और कौन सी टीम दौड़ेगी।
  • खो खो खेल के मैदान में निशान को निशान को साफ रेखाओं द्वारा बनाया जाता है।
  • बैठने वाले टीम के सदस्यों को इस प्रकार बैठाया जाता है कि दौड़ने वाले खिलाड़ी को रुकावट ना हो।
  • कोई भी बैठा खिलाड़ी बिना खो बोले उठकर भाग नहीं सकता।
  • भागता हुआ खिलाड़ी, बैठे हुए खिलाड़ी को जब तक जोर से खो बोलता है तो वह बैठा हुआ खिलाड़ी दौड़ने लगता है।
  • जिस खिलाड़ी को खो बोला जाता है वह भागने लगता है और जो खिलाड़ी खो बोलता है वह उस खिलाड़ी के स्थान पर बैठ जाता है।
  • खो मिलने के बाद से अगर खिलाड़ी बीच की लाइन को क्रास कर देता है तो उसे फाउल माना जाता है।
  • जिस खिलाड़ी को खो मिलता है वह खिलाड़ी अपनी दिशा निर्धारित कर लेता है और उससे उसी दिशा में भागना होता है।
  • जो खिलाड़ी दौड़ता है वह बैठे हुए खिलाड़ी को बिना खो बोले छू नहीं सकता है।
  • दौड़ने वाला खिलाड़ी नियम के अनुसार बाहर जा सकता है।
  • दौड़ने वाला खिलाडी का अगर दोनों पैर सीमा से बाहर चला जाता है तो वह आउट माना जाता है।
  • सभी टीमों के खिलाड़ी के जर्सी पर 1 से 12 तक के नंबर होते हैं।
  • जर्सी पर सामने की तरफ नंबर का आकार 10 * 2 cm में और पीछे (पीठ) पर 20 * 2 cm का होता है।
  • अगर किसी खिलाड़ी को खेल के दौरान चोट लग जाती है तो उसको 2 मिनट के लिए बाहर बैठा कर उसके जगह पर दूसरे खिलाड़ी को अंदर ले लिया जाता है।

खो खो खेल कितने समय का खेला जाता है?

खो खो खेल को दो इनिंग में खेला जाता है। इसमें पहले इनिंग को (9-3-9) का समय मिलता है। (9-3-9) का मतलब होता है – 9 मिनट का खेल फिर 3 मिनट का ब्रेक और फिर 9 मिनट का खेल।

जब पहली इनिंग खेल लेती है तो उसके बाद से 6 मिनट का इंटरवल होता है फिर से दूसरी इनिंग को (9-3-9) का समय मिलता है।

अगर खेल टाई हो जाता है तो फिर दोबारा से टॉस किया जाता है, और 5 मिनट का ब्रेक मिलता है। ब्रेक के बाद से फिर (9-3-9) समय का दोबारा खेल खेला जाता है।

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निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस पोस्ट में हमने खो खो खेल के नियम के बारे में बताया है। आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा होगा। अगर आपको इस पोस्ट से जुड़ा कोई सवाल हो तो हमें नीचे कमेंट करके बता सकते हैं हम आपके सवाल का जवाब जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे। आप इसको अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।

FAQ

खो खो का ग्राउंड कितने मीटर का होता है?

खो-खो मैदान की लंबाई 29 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। मैदान में सिरों पर 16 मीटर × 2.75 मीटर के दो आयत होते हैं। जमीन के बीच में 23.50 मीटर लंबी और 30 सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी है, पार्टी के प्रत्येक छोर पर एक लकड़ी का खंभा है, 30 सी.एम. × 30 सी.एम. 8 वर्ग हैं।

खो खो खेल की प्रसिद्ध महिला कौन थी?

भारत की महिला खो-खो टीम की कप्तान सारिका काले ने हाल ही में गुवाहाटी में 12वें दक्षिण एशियाई खेलों (एसएजी) में राष्ट्रीय टीम को स्वर्ण पदक दिलाया। 10 साल की उम्र में सारिका ने खो-खो खेलना शुरू किया और खेल में रुचि विकसित की।

खो खो में कितने बच्चे होते हैं?

खो-खो पंद्रह में से 12 नामांकित खिलाड़ियों की टीमों द्वारा खेला जाता है, जिनमें से नौ मैदान में प्रवेश करते हैं जो अपने घुटनों पर बैठते हैं (पीछा करने वाली टीम), और 3 अतिरिक्त (रक्षा करने वाली टीम) जो विरोधी टीम के खिलाफ खेलते हैं। सदस्य छूने से बचने की कोशिश करते हैं।

खो खो कौन सा खेल है?

कबड्डी की तरह भारत में एक और अनोखा खेल है और वह है खो-खो। यह गेम किसी व्यक्ति की फिटनेस जांचने का सबसे अच्छा गेम है और यह बहुत मजेदार भी है। आइए जानते हैं इस गेम के बारे में और भी खास बातें। खो-खो के खेल में एक टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं और उनमें से केवल 9 को ही मैदान में खेलने की अनुमति होती है।

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